न खा कसमें, न वादे कर इश्क में।
डर है कहीं तोड़ न दे तू बाद में।।
- अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
रावत की कलम से
Hindi Poetry
03/01/2014
हिंदी शायरी - ASR
08/10/2013
28/08/2013
रावत बोल वचन – भाग १
चीखकर न खुदा मिले, न मिलेगा भगवन ।
पाना है गर उसे, तो निर्मल करले मन ।१।
कर संगत ज्ञानी की, राम नाम तू जपना ।
छोड़ के आदत बुरी, सांच को ले अपना ।२।
प्रेम भी देखो खेल हुआ, हर कोई खेलत जाय ।
बात करें है बड़ी-बड़ी, अंत में हाथ छोड़ जाय ।३।
धन ही सबसे पहले है, चाहे भला ये जग छूटे ।
महिमा इसकी अपार है, सब रिश्ते नाते टूटे ।४।
भांति-भांति के लोग यहाँ, जाति धर्म अनेक ।
अनूप कहे सबसे इतना, मानवता ही नेक ।५।
बिन नारी के सून है, ये सारा ही संसार ।
एक ही जन्म में धरे, देख ले रूप अपार ।६।
आँख मूंदकर यूं इंसान को, न तू भगवन मान ।
ढोंगी को मान देकर, प्रभु का न कर अपमान ।७।
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – २७-०८-२०१३ (इंदिरापुरम)
12/08/2013
हिंदी शायरी - अनूप रावत
10/08/2013
हिंदी शायरी - अनूप रावत
15/07/2013
हिंदी शायरी - ASR
तेरी याद चैन से जीने भी नहीं देती.
और एक तू है जो लौट के न आई...
- अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
10/07/2013
Hindi Shayari - Anoop Rawat
तेरे इश्क में इतना खो गया हूँ,
कि अब जहां की खबर तक नहीं.
तू कर यकीं या न कर ए सनम,
रब से तेरे सिवा कुछ मांगू नहीं...
© अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (१०-०७-२०१३)
25/03/2013
आयो रे होरी
फाल्गुन लागो, आयो रे होरी।
खेलन आयो रे तू संग होरी।।
मैं कान्हा तेरो, तू राधा मोरी।
भूल न जाना तू ओरे गोरी।।
अबीर गुलाल भर पिचकारी।
रंग दूंगा तुझको ओरे दुलारी।।
सखियाँ भी होंगी संग तोरी।
प्रीत है ये तो ना कोई चोरी।।
आवत जावत रंगियो तू गोरी।
जी भर खेलें आज संग होरी।।
रंग बिरंगे फूलों की ओरे छोरी।
महके का आंगन, घर, मोरी।।
फाल्गुन लागो, आयो रे होरी।
खेलन आयो रे तू संग होरी।।
©अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक 25-03-2013 (इंदिरापुरम)
20/03/2013
हिंदी शायरी - अनूप रावत
इश्क करके तो देख हमसे,
इक नई प्रेम कहानी लिख दें...
©2013 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
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